शब्द का अर्थ
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धुन :
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पुं० [सं०] १. आवाज या शब्द करना। २. रह-रहकर हिलना। काँपना। ३. सम्पूर्ण जाति का एक राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं। स्त्री० [हिं० धुनना, मि० स० धुन] १. धुनने की क्रिया या भाव। २. कोई विशिष्ट काम प्रायः करते रहने की स्वभावजन्य प्रवृत्ति या मनोदशा। ऐसी लगन जिसमें उद्देश्य को छोड़कर और किसी बात का ध्यान न रहे। जैसे—(क) आज-कल उन्हें नई-नई पुस्तकें पढ़ने (या रुपये कमाने की) धुन है। (ख) रामधुन लागी, गोपाल-धुन लागी।—लोकगीत। पद-धुन का पक्का=वह जो अपनी धुन से सहसा विरत न हो। कोई काम आरंभ करने पर उसे बिना पूरा किये न छोड़नेवाला अथवा बार-बार करता रहनेवाला। २. किसी काम या बात की ओर जाग्रत होने वाली प्रबल प्रवृत्ति। मन की तरंग या मौज। जैसे—जब धुन आई (या उठी) तब घूमने निकल पड़े। ३. किसी काम या बात का ऐसा चिंतन या मनन जो और कामों या बातों की ओर से ध्यान बिलकुल अलग कर दे। जैसे—आज-कल न जाने वे किस धुन में रहते हैं कि जल्दी लोगों से बात ही नहीं करते। क्रि० प्र०—चढ़ना।—लगना।—समाना।—सवार होना। (उक्त सभी अर्थों में) ४. संगीत में कोई चीज गाने या बजाने का वह विशिष्ट ढंग या प्रकार या शैली जिसमें स्वरों का उतार-चढ़ाव अन्य प्रकारों या शैलियों से बिलकुल अलग और निराला होता है। जैसे—(क) रामायण की चौपाइयाँ अनेक धुनों में गायी जाती हैं। (ख) यह गजल सोहिनी की धुन में भी गायी जाती है और भैरवी की धुन में भी। |
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समानार्थी शब्द-
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धुनक :
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स्त्री० [हिं० धुनकना] धुनकने की क्रिया या भाव। पुं०=धनुष।a |
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धुनकना :
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स०=धुनना। |
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धुनकी :
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स्त्री० [सं० धनुस, हिं० धुनकना] १. लड़कों के खेलने का छोटा धनुष। २. धुनियों का एक प्रकार का प्रसिद्ध उपकरण, जिससे वे रुई धुनते हैं। पिंजा। फटका। |
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धुनना :
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स० [सं० धूननं] १. धुनकी की सहायता से रुई पर इस प्रकार बार-बार आघात करना कि उसके तार या रेशे अलग-अलग हो जाएँ और बिनौले निकल जाएँ। विशेषः अब मशीनों द्वारा भी रुई धुनी जाने लगी है। २. लाक्षणिक अर्थ में इस प्रकार निरन्तर आघात या प्रहार करना जिससे किसी को अत्यधिक शारीरिक कष्ट हो। मुहा०—सिर धुनना= दे० ‘सिर’ के अन्तर्गत। संयो० क्रि०—डालना।—देना। स० [हिं० धुन] १. धुन में आकर अपनी ही बात कहते चलना। २.कोई काम लगातार करते चलना। अ० [?] १. अधिकता या बहुतायत होना। २. ऊपर या चारों ओर से घिर आना। आच्छादित होना। छाना। उदा०—धामधाम धूपनि कौ धूम धुनियतु है।—देव। |
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धुनवाई :
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स्त्री० [हिं० धुनवाना] १. धुनवाने की क्रिया या भाव या मजदूरी। २. दे० ‘धुनाई’ |
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धुनवाना :
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स० [हिं० धुनना] १. धुनने का काम किसी दूसरे से कराना। जैसे—रुई धुनवाना। २. खूब पिटवाना। मार खिलवाना। |
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धुनवी :
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स्त्री०=धुनकी।a |
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धुना :
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पुं०=धुनियाँ।a |
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धुनाई :
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स्त्री० [हिं० धुनना] धुनने की क्रिया या भाव या मजदूरी। |
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धुनि :
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स्त्री० [सं०√धु (कंपन)+नि] नदी। स्त्री० १.=ध्वनि। २.=धूनी।a |
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धुनियाँ :
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पुं० [हिं० धुनना] [स्त्री० धुनियाइन] वह व्यक्ति जो धुनकी की सहायता से रूई धुनने का काम या पेशा करता हो। बेहना। |
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धुनिहाव :
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पुं० [?] हड्डी में का दर्द।a |
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धुनी :
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स्त्री० [सं० धुनि+ङीष्] नदी। पद—सुर-धुनी। (दे०) स्त्री० १.=ध्वनि। २.=धूनी।a |
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धुनेचा :
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पुं० [देश०] सन की जाति का एक पौधा, जो बंगाल में काली मिर्च की बेलों पर छाया रखने के लिए लगाया जाता है। |
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धुनेना :
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पुं०=धूपदानी।a |
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धुनेहा :
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पुं०=धुनियाँ।a |
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